किताब

मेरी अंतिम यात्रा में मेरे साथ एक किताब रख देना ।सोचती हूं तुम न होते तो मेरा क्या होता सब अपने हिसाब से आये गए और मिले पर मैंने जब चाहा तुम पास थे । मेरे अकेलेपन को बांटा तो कभी अपनी बातों से साहस दिया । कितनी खामोशी से तुमने मुझे कितना कुछ समझाया और सिखाया ,संभाल अपनी उंगली पकड़ राह दिखाई । 
मेरी अंतिम यात्रा में मेरे साथ एक किताब रख देना । तुम्हारे लिए लड़ी भी क्योंकि तुम्हे कोई कुछ कहे बर्दास्त नही था मुझे कभी कबाड़ तो कभी रद्दी पर मुझे पता था कि कैसे तुम्हारे एक एक पन्ने से मेरी सवेंदना जुड़ी हुई थी । 
मेरी निराशा में हर बार आशा की किरण तुमने ही भरी । हर जन्म तुम मिलो तुम्हारी चाह मिले तुम्हारा साथ मिले ।

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